मुझे अपने "ब्लॉग" देखे बहुत दिन हो गए है! पिछले दो महीने मैंने अपने आप को खोजने में लगाया है - "जानकी : एक खोज"
अपने बारे में लिखना बहुत ही कठिन है। मुझे यह नही पता मुझमे ऐसा क्या अद्भुत है ..... मुझमे लोगों को साथ ले चलने की शक्ति है की नही ...मुझे यह भी नही पता मैं जो कर रही हूँ वोह क्यूँ कर रही हूँ...फिर भी मैं सूखे पत्ते की तरह हवा के साथ चली जा रही हूँ.....शायद यह भागवान की इच्छा है... इस सफर के लक्ष्य पर पहुँचने पर मैं अपना यह "ब्लॉग -पोस्ट अपडेट" करुँगी।